Shree Suktam PDF Free Download

Shree Suktam PDF

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PDF NameShree Suktam PDF Free Download
No. of Pages12
PDF Size726 kb
LanguageHindi
PDF CategoryReligion & Spirituality
Published/UpdatedJuly 20, 2023
Source / Creditsdrive.google.com
Uploaded ByMyPdf

Shree Suktam PDF Free Download

In the tapestry of Hindu spirituality and devotion, the Shree Suktam stands as a revered hymn dedicated to the radiant and benevolent Goddess Lakshmi. Known as the embodiment of wealth, prosperity, and auspiciousness, Goddess Lakshmi holds a significant place in the hearts of millions of worshippers worldwide. The timeless verses of the Shree Suktam resonate with profound spiritual meanings, and thanks to the wonders of technology, this sacred text has found a new dimension in the digital age through the “Shree Suktam PDF.”

श्री सूक्त पाठ PDF | Shree Suktam PDF in Hindi

1- ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

हे जातवेदा अग्निदेव ! आप सुवर्ण के समान रंगवाली, कुछ कुछ हरितवर्ण विश्ष्टा, सोने और चांदी के हार धारण करने वाली, चन्द्रवत प्रसन्नकान्ति, स्वर्णमयी लख्मी देवी का मेरे लिये आवाहन करें ।। १ ।।

2- तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।।

हे अग्ने ! उन लक्ष्मी देवी का मेरे लिए आवाहन करें, जिनका कभी बिनाश नहीं होता तथा जिनके आगमन से मैं सोना, गौ, घोड़े तथा पुत्रादि को प्राप्त करूंगा। ।। २ ।।

3- अश्वपूर्वां रथमध्यां, हस्तिनादप्रमोदिनीम् ।
श्रियं देवीमुप ह्वये, श्रीर्मा देवी जुषताम् ।।

जिन देवी के आगे घोड़े तथा उनके पीछे रथ रहते हैं तथा जो हस्तिनाद को सुनकर प्रमुदित होती हैं, उन्हीं श्रीदेवी का मैं आवाहन करता हूँ, वह लक्ष्मीदेवी मुझे प्राप्त हों ।। ३ ।।

4- कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

जो साक्षात् ब्रह्मरूपा, मन्द मुस्कानवाली, सोने के आवरण से ढकी हुईं, दयामय, तेजोमयी, पूर्णकाम, भक्त अनुग्रह कारिणी, कमल के आसन पर विराजमान तथा पद्मवर्णा हैं, उन लक्ष्मी देवी का मैं आवाहन करता हूँ ।। ४ ।।

5- चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ।।

मैं चन्द्रके समान शुभ्र कान्तिवाली, सुंदर द्युतगामिनी, यश से दीप्तिमती, स्वर्गलोक में देवगणो के द्वारा पूजिता, उदारशीला, पद्महस्ता लक्ष्मीदेबी की शरण लेता हूँ। मेरा दुःख द्वारिद्रय दूर हो जाय। मैं आपको शरण्य के रूप में वरन करता हूँ ।। ५ ।।

6- आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽक्ष बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ।।

हे सूर्य के समान प्रकाशस्वरूपे ! आपके ही तपसे वृक्षों में श्रेष्ठ मंगलमय बिल्ववृक्ष उत्तपन्न हुआ। उसके फल आपके अनुग्रह से हमारे बाहरी और भीतरी दुःख दारिद्रय को दूर करें ।। ६ ।।

7- उपैतु मां दैवसखः, कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्, कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ।।

हे देवि ! देवसखा कुबेर और उनके मित्र मणिभद्र तथा दक्ष प्रजापति की कन्या कीर्ति मुझे प्राप्त हों अर्थात मुझे धन और यशकी प्राप्ति हो। मैं इस राष्ट्र में-देश में उत्पन्न हुआ हूँ, मुझे कीर्ति और ऋद्धि प्रदान करें ।। ७ ।।

8- क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च, सर्वां निर्णुद मे गृहात् ।।

लक्ष्मीजी की ज्येष्ठ बहन अलक्ष्मी का, जो क्षुधा और पिपासा से मलिन – क्षीणकाय रहती हैं, में विनाश चाहता हूँ। देबि ! मेरे घर से सब प्रकार के दुःख दारिद्रय तथा अमंगलको दूर करो ।। ८ ।।

9- गन्धद्वारां दुराधर्षां, नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरीं सर्वभूतानां, तामिहोप ह्वये श्रियम् ।।

जिनका प्रवेशद्वार सुगंधित है, जो दुराधर्षां तथा नित्यपुष्टा हैं और जो गोमय के बीच निवास करती हैं, सब भूतो की स्वामिनी उन लक्ष्मी देवी का मैं अपने घर में आवाहन करता हूँ ।। ९ ।।

10- मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।

मन की कामनाओ और संकल्प की सिद्धि एवं वाणी की सत्यता मुझे प्राप्त हो। गो आदि पशुओं एवं विभिन्न अन्नों-भोग्य पदार्थी के रूप में तथा यश के रूप में श्रीदेवी हमारे यहां पधारें पधारें ।। १० ।।

11- कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ।।

लक्ष्मीजी के पुत्र कर्दम की हम सन्तान हैं। हे कर्दमऋषि ! आप हमारे यहाँ उत्पन्न हों तथा कमल की माला धारण करनेवाली माता लक्ष्मीदेवी को हमारे कुल में स्थापित करें ।। ११ ।।

12- आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे ।
नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ।।

जल स्निग्ध पदार्थो के सृष्टि कर्ता, हे लक्ष्मीपुत्र चिक्लीत ! आप भी मेरे घर मैं वास करें और माता लक्ष्मी देवी का मेरे कुलमें निवास करायें ।। १२ ।।

13- आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।।

हे अग्ने ! आर्द्वस्वभावा, कमलहस्ता, पुष्टिरूपा, पीतवर्णा, कमल माला धारण करने वाली, चन्द्रमाके समान शुभ्र कान्ति से युक्त, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मैं आह्वाहन करता हूँ ।। १३ ।।

14- आर्द्रां य करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ।।

हे अग्ने ! जो दुष्टो का निग्रह करने वाली दोने पर भी कोमल स्वभाव की हैं, जो मंगलदायिनी, अवलम्बन प्रदान करनेवाली यष्टि रूपा, सुन्दर वर्णवाली, सुवर्ण मालाधरिणी, सूर्यस्वरूपा तथा स्वर्णमयी हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मैं आह्वाहन करता हूँ। ।। १४ ।।

15- तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।।

हे अग्ने! कभी नष्ट न होनेवाली उन लक्ष्मी देवी का मेरे लिये आवाहन करें, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, गौएँ, दासियाँ, अश्व और पुत्रादि हमें प्राप्त हों ।। १५ ।।

16- य: शुचि: प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पंचदशर्चं च श्रीकाम: सततं जपेत् ।।

जिसे लक्ष्मी की कामना हो, वह प्रतिदिन पवित्र और संयमशील होकर अग्रिम घी की आहुतियाँ दे तथा इन पंद्रह ऋचाओंवाले श्रीसूक्त का निरंतर पाठ करे ।। १६ ।।

17- पद्मानने पद्मऊरु पद्माक्षी पद्मासम्भवे ।
त्वं मां भजस्व पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम् ॥

18- अश्वदायि गोदायि धनदायि महाधने ।
धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे ॥

19- पुत्रपौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवे रथम् ।
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु माम् ॥

20- धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः ।
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमश्नुते ॥

21- वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा ।
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः ॥

22- न क्रोधो न च मात्सर्य न लोभो नाशुभा मतिः ।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत्सदा ॥

23- वर्षन्तु ते विभावरि दिवो अभ्रस्य विद्युतः ।
रोहन्तु सर्वबीजान्यव ब्रह्म द्विषो जहि ॥

24- पद्मप्रिये पद्मिनि पद्महस्ते पद्मालये पद्मदलायताक्षि ।
विश्वप्रिये विष्णु मनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व ॥

25- या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी ।
गम्भीरा वर्तनाभिः स्तनभर नमिता शुभ्र वस्त्रोत्तरीया ॥

26- लक्ष्मीर्दिव्यैर्गजेन्द्रैर्मणिगणखचितैस्स्नापिता हेमकुम्भैः ।
नित्यं सा पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमाङ्गल्ययुक्ता ॥

27- लक्ष्मीं क्षीरसमुद्र राजतनयां श्रीरङ्गधामेश्वरीम् ।
दासीभूतसमस्त देव वनितां लोकैक दीपांकुराम् ॥

28- श्रीमन्मन्दकटाक्षलब्ध विभव ब्रह्मेन्द्रगङ्गाधराम् ।
त्वां त्रैलोक्य कुटुम्बिनीं सरसिजां वन्दे मुकुन्दप्रियाम् ॥

29- सिद्धलक्ष्मीर्मोक्षलक्ष्मीर्जयलक्ष्मीस्सरस्वती ।
श्रीलक्ष्मीर्वरलक्ष्मीश्च प्रसन्ना मम सर्वदा ॥

30- वरांकुशौ पाशमभीतिमुद्रां करैर्वहन्तीं कमलासनस्थाम् ।
बालार्क कोटि प्रतिभां त्रिणेत्रां भजेहमाद्यां जगदीस्वरीं त्वाम् ॥

31- सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
नारायणि नमोऽस्तु ते ॥ नारायणि नमोऽस्तु ते ॥

32- सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक गन्धमाल्यशोभे ।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥

33- विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम् ।
विष्णोः प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ॥

34- महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि ।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥

35- श्रीवर्चस्यमायुष्यमारोग्यमाविधात् पवमानं महियते ।
धनं धान्यं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः ॥

36- ऋणरोगादिदारिद्र्यपापक्षुदपमृत्यवः ।
भयशोकमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा ॥

37- य एवं वेद ।
ॐ महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्नी च धीमहि ।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

Conclusion

In conclusion, “Shree Suktam PDF” holds immense significance in the realm of spirituality and worship. The Shree Suktam is a revered hymn dedicated to Goddess Lakshmi, the embodiment of wealth, prosperity, and auspiciousness in Hindu mythology. Devotees chant and recite the Shree Suktam with utmost devotion, seeking the blessings and grace of the divine Goddess.

The availability of “Shree Suktam PDF” has been a boon for countless devotees across the globe. The digital format ensures easy access to this sacred text, enabling individuals from diverse backgrounds and locations to connect with its spiritual essence. Through this PDF, aspirants can immerse themselves in the profound verses and profound meanings of the Shree Suktam, deepening their understanding of its profound wisdom.

Moreover, the “Shree Suktam PDF” serves as a valuable resource for those engaged in Vedic studies and research. Scholars and enthusiasts alike can explore the profound symbolism and spiritual teachings embedded in the hymn, unraveling the timeless truths it imparts.

As we embrace technology and the digital age, the accessibility of sacred texts like the Shree Suktam in PDF format reinforces the preservation of ancient wisdom for future generations. It fosters a harmonious blend of tradition and modernity, allowing spirituality to transcend barriers and reach people from all walks of life.

In essence, “Shree Suktam PDF” symbolizes the unyielding devotion of countless followers towards the divine Goddess Lakshmi. It empowers us to delve into the ocean of spiritual wisdom, guiding us on the path of righteousness, abundance, and inner fulfillment. Let us cherish this sacred offering, expressing gratitude for the wisdom it imparts and the blessings it brings into our lives. May the divine grace of Goddess Lakshmi be showered upon us all, nurturing our souls and leading us towards a life of prosperity, joy, and spiritual enlightenment.

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